पपीता खाने के फायदे हिंदी | सही समय पपीता खाने का

 पपीता खाने का सही समय– सुबह के समय पपीता खाना ज्यादा लाभकारी होता है। इससे भूख अच्छी लगती है, कब्ज़ दूर होती है। दोपहर में लंच के बाद पपीता खाने से पाचन अच्छा होता है। शाम को भी भूख लगी हो तो पपीता खायें। पपीता खाना खाने से पहले खाना चाहिए । खाली पेट पपीता खाने से इसके सभी पोषक तत्व आसानी से शरीर द्वारा अवशोषित कर लिए जाते है तथा यह बहुत फायदेमंद है |


पपीता के औषधीय गुण


खून की कमी के रोगी स्त्री-पुरुषों को प्रतिदिन पपीता खाना चाहिए। पपीता आसानी से पचने वाला होने के कारण शरीर में रक्त की वृद्धि करता है।


उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोगो को पपीते का सेवन करना बहुत लाभदायक होता है। पपीते में काफी मात्रा में फाइबर होते है साथ ही ये विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स से भी भरपूर होता है जो कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में काफी असरदार है होते है | इसलिए ह्रदय से जुड़े रोगों में मरीज का पपीता खाने की सलाह दी जाती है |


कब्ज से पीड़ित रोगियों के लिए पपीता सबसे गुणकारी औषधि है। इसके सेवन से कब्ज ठीक होती है | सुबह के समय खाली पेट पपीता खाकर दूध पीने से कब्ज़ दूर होता है।


पपीता पेट साफ करता है। पाचन संस्थान को ताकत देता है। छोटे बच्चे जिनका पेट खराब रहता है, उन्हें पपीता खिलाना चाहिए। बिस्कुट नहीं देना चाहिए क्योंकि इसमें मैदा होती है जो कब्ज का कारण बनती है |


प्रसव के बाद स्तनपान कराने वाली स्त्रियों को पपीते का सेवन अवश्य करना चाहिए। इससे स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।


प्रदूषित हवा, धुएँ से बचाव के लिए -पपीते के ताजा बीज रूमाल में रखकर सूंघते हुए यात्रा करें। ताजा बीज नहीं हों तो सूखे बीज पानी में भिगोकर काम में लें। इससे प्रदूषित हवा का सेहत पर खराब प्रभाव कम होगा तथा दम घुटना तथा साँस लेने की तकलीफ भी कम होगी पपीता प्रदूषण के दुष्प्रभावों से भी बचाता है।


पपीते का प्रतिदिन 300 ग्राम मात्रा में सेवन करने से मोटापा भी कम होने लगता है।


जोड़ों के दर्द में रोजपपीता खायें यह वातदर्द को कम करता है।


पके हुए पपीते के गूदे को पीसकर दूध में घोल लें। इसमें स्वाद के अनुसार चीनी तथा शर्बत मिलायें और पियें। इससे गर्मी दूर होती है और यह स्वादिष्ट भी लगता है, इसे पपाया शेक के नाम से भी जाना जाता है |


पपीते के सूखे बीज 50 ग्राम पीसकर तिल का तेल 50 ग्राम में मिलाकर, उबालकर, छानकर इस तेल की लकवा प्रभावित वाले अंगों पर मालिश करने से लाभ होता है।


त्वचा के लिए पपीता लाभ – पपीते का 10 ग्राम गूदा, नीबू के रस की 10 बूंदें और गुलाब जल आधा चम्मच में टमाटर का रस 10 ग्राम मिलाकर चेहरे व शरीर के दूसरे अंगों पर लेप करें। 15-20 मिनट बाद हल्के गर्म जल से साफ करने पर कुछ ही दिनों में त्वचा में बहुत निखार आता है।


बवासीर और मुँहासों में पका हुआ पपीता रोजाना सुबह खाली पेट एक महीने तक खाने से लाभ होता है।


शरीर में खुजली होने पर या किसी मधुमक्खी के काटने पर तुरंत पपीते का दूध लगाने से लाभ होता है सूजन नहीं होती है ।


पपीते के पेड़ की जड़ को छाया में सुखाकर छोटे-छोटे टुकड़े कर पीस लें। इसकी दो चम्मच रात को आधा गिलास पानी में भिगो दें। प्रातः छानकर उस पानी को पी जायें। 21 दिन में पेशाब के साथ पथरी बाहर आ जायेगी।


चेहरे की त्वचा शुष्क होने अथवा चेहरे पर झुर्रियां पड़ने से बचाव के लिए प्रतिदिन पपीता खाना चाहिए। पपीते का गूदा चेहरे पर मलने से झुर्रियां कम होती हैं।


पपीते के 100 ग्राम रस में गाजर का रस 100 ग्राम और अनन्नास का रस 50 ग्राम मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से ऋतुस्राव के विकार नष्ट होते हैं।


पपीते को काटकर नींबू का रस और थोड़ा-सा सेंधा नमक, काली मिर्च का पाउडर मिलाकर खाने से अरुचि कम होती है तथा भूख खुलकर लगती है।


पपीता खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढती है |


भारत के दक्षिण में स्थित राज्यों में ऐसा माना जाता है की पपीते में गर्भ गिराने के गुण हैं। इसलिए गर्भावस्था में पपीता खाते समय सावधान रहना चाहिए। खासकर इसके बीजो को गर्भावस्था में ना खाएं |


यकृत का सूत्रण रोग : पपीते के काले बीज कुपोषण से उत्पन्न पेट के रोग के उपचार में बहुत लाभकारी हैं। बीजों को पीसकर, उसके एक चम्मच रस में नींबू का दस बूंद ताजा रस मिलाकर प्रतिदिन एक या दो बार महीने भर लेने से आश्चर्यजनक लाभ करता है।


प्लीहा अपवृद्धि : कच्चा पपीता प्लीहा अपवृद्धि में बहुत लाभकारी है। फल का छिलका उतारकर, छोटे-छोटे टुकड़े करके सिरके में मिलाकर एक सप्ताह तक खाएं |


गोल कृमि : कच्चे पपीते का गोल कृमि पर घातक प्रभाव होता है। कृमि बाहर निकालने के लिए इसको शर्करा के साथ उपयोग में लाया जाता है। पपीते के बीज भी बहुत उपयोगी होते हैं, क्योंकि कार्सिन नामक पदार्थ इसमें प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो गोल कृमियों की बहुत प्रभावी दवा है। पत्तियों में पाए जानेवाले अल्कलाइड कारपेन में भी आँत के कृमियों को नष्ट करने, निकालने की ताकत रहती है।


पका हुआपपीता भी पीलिया में बहुत लाभदायक होता है |


कच्चापपीता और कच्चा केला दस्त में बहुत फायदा करता है।


पथरी तथा पेशाब के संक्रमण रोग में पपीते का सेवन लाभकारी होता है |


पका हुआपपीता भी पीलिया में बहुत लाभदायक होता है |


कच्चापपीता और कच्चा केला दस्त में बहुत फायदा करता है।


पथरी तथा पेशाब के संक्रमण रोग में पपीते का सेवन लाभकारी होता है |


मधुमेह के रोगियों को पके पपीते के स्थान पर कच्चे हरे पपीते का सेवन करना चाहिए |


सर्जरी के बाद या रक्त बहने की बीमारी में पपीता खाने से बचें क्योकि यह रक्त को पतला कर देता है |

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